रामचरित मानस मॆं उद्धरित पाताल लोक की खोज: सत्य को उजागर करना
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Abstract
रामायण में वर्णित पाताल लोक का अस्ति त्व एक रहस्य मय पहेली की तरह सदियों से वि द्वा नों और शोधकर्ता र्ताओं को हैरान करता रहा है। यह शोध पत्र पृथ्वी के नीचे भूमि गत क्षेत्र के अस्ति त्व की संभावना का पता लगाता है, वि शेष रूप से होंडुरास के प्रा चीन शहर स्यूद स्यूदस्यूद ाद ब्ल ैंका की हालि या खोज की ओर ध्या न आकर्षि ्षित करता है । रामायण भगवान राम के भक्त हनुमान की यात्रा का वर्ण र्णन करती है, जो अपने प्रि य देवता को अहि रावण के चंगुल से बचाने के लि ए पाताल लोक में चले गए थे । इस गोस्वा मी तुलसीदासजी के रामायण महाकाव्य कथा के अनुसार, हनुमान ने 70,000 योजन की दूरी तक फैली सात सतहों-अतल, वि तल, सुतल, तलातल, महतल, रसातल और पाताल को पार कि या । आधुनि क तकनीकी द्वा रा, जैसे कि LiDAR तकनीकी, ने प्रा चीन सभ्य ताओं का पता लगाया है, जि ससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि स्यूद स्यूदस्यूद ाद ब्ल ैंका पौराणि क पाताल लोक के साथ संरेखि त है, वि शेष रूप से खोजी गई मूर्ति ्तियों और रामायण में वर्णित मूर्ति ्तियों के बीच आश्चर्य र्यजनक समानताएं हैं । यह जांच न केवल पौराणि क आख्या नों और पुरातात्विरतवक नि ष्कर् षों के बीच संभावि त संबंधों को स्प ष्ट करती है बल्कि प्रा चीन भारत की समृद्ध सांस्कृति स्कृति स्कृति क वि रासत और वैज्ञानि क योगदान पर भी प्र काश डालती है । यह वि श्व स्त र पर प्रा चीन ज्ञा न के प्र सार को प्रो त्साहि त करता है, मि थक और वास्तवि कता के संश्लेषण की गहरी क्ष मता को बढ़ा वा देता है ।